रविवार, 21 सितंबर 2025
जहाँ लोग आत्मा की जिंदगी का जश्न मनाते हैं, वहीं अंतिम संस्कार होते हैं
सिडनी, ऑस्ट्रेलिया में 24 अगस्त 2025 को वालेंटिना पापाग्ना को हमारी मादर और हमारे लॉर्ड जीसस क्राइस्ट से संदेश

आजकल कई अंतिम संस्कारों पर हाल ही में मरने वाले व्यक्ति की जिंदगी का जश्न मनाना लोकप्रिय है।
हमारे लॉर्ड को इस बात से खुशी नहीं होती। उन्होंने कहा, “मैं तुम्हें तुम्हारे रचना के पल से लेकर तुम्हारी मौत तक जानता हूँ और जब तुम मेरे सामने आते हो तो स्वर्ग में तुम्हारी जिंदगी की सारी चीजे लिखी हुई हैं, और यह सबसे महत्त्वपूर्ण है। लेकिन अब अंतिम संस्कारों पर मरने वालों की जिंदगी का जश्न मनाना फैशन बन गया है। इसको करना जरूरी नहीं क्योंकि आत्मा वहीं प्रार्थना के इंतज़ार में होती है कि उनके लिए प्रार्थनाएं करी जाएं — और यह सबसे ज़रूरतमाल चीजे हैं। इससे आत्मा को उस अमृतकाल में मदद नहीं मिलती जो अब उन्होंने प्रवेश किया है। इससे आत्मा कोई लाभ नहीं उठाती।”
नाम लेकर प्रार्थनाएं और पवित्र मस्स के बलिदान, जहां और कब वे पैदा हुए थे, यह काफी है। अपने अंतिम संस्कार पर चर्च में मौजूद होने वाली आत्मा अपनी जिंदगी का जश्न मनाने से शर्मिंदे होती हैं, क्योंकि वे सच जानती हैं कि इससे भगवान को खुशी नहीं होती।